लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

36 पिताजी की जिम्मेदारी बढ़ना -

पिता जी काफी वृद्ध हो चुके थे, उनके बाल चांदी जैसे सफेद हो चुके थे। शरीर से कमजोर होने लगे थे, क्योंकि पिताजी की उम्र 80 को पार कर चुकी थी। लेकिन पिताजी हमेशा स्वस्थ रहने की कोशिश करते थे, और अपना काम स्वयं करते थे। किसी के ऊपर निर्भर नहीं रहते थे। बाजार से भी पिताजी ही  साग सब्जी दूध बगैरह लाते थे। ये रोजमर्रा के सामान लाने का काम उन्हीं के जिम्मे था।क्योंकि भैया आफिस चले जाते थे और घर में उनके अलावा मां ही थी। मां कहीं जाती नहीं थी। और घर में कोई ऐसा नहीं था।वह रोजमर्रा के छोटे-मोटे सामान को जा कर ले आए। वह सब काम पिताजी को ही करना पड़ता था। परंतु आप तो पिताजी को जैसे पर ही लग गए हो। जब से नन्ही परी घर में आई है, पिताजी के अंदर बड़ी फुर्ती आ गई है। अब तो वह हर काम करने को तैयार रहते हैं। भगवान करे पिताजी ऐसे से स्वस्थ व मस्त रहें। रक्षा बोली........।

मां और श्रेया भाभी एक साथ बोल पड़े। कि रक्षा के मुंह में घी शक्कर। पिताजी इसी तरह हमेशा स्वस्थ रहें और खुश रहें।

इतने में दरवाजे की घंटी बजी। रक्षा ने जाकर दरवाजा खोला। तो कोई अनजान औरत दरवाजे पर खड़ी थी। रक्षा ने पूछा...... आपको किससे मिलना है। उस औरत ने कहा- श्रेया है.. घर पर। हां, पर आपका क्या नाम है। उस औरत ने बताया-कि मैं ऑफिस में काम करती हूं, और श्रेया से मिलने आई हूं। मेरी उससे फोन पर बात हुई थी।  रक्षा अंदर गई और उसमें भाभी को सारी बात बताई ,कि कोई आपसे मिलने आपके ऑफिस से आया है।श्रेया बहुत जल्दी से दौड़ तो नहीं सकती थी। परंतु रक्षा से श्रेया ने कहा- कि जाओ उन्हें आदर सहित आदर ले आओ..... रक्षा बाहर गई और उन्हें सादर अंदर लेकर आई। अंदर आते ही वह दोनों एक दूसरे के गले लग गई। काफी देर आलिंगनबद्ध रहने के बाद श्रेया ने अपनी सहेली सुमन को बैठाया। और परिवार के सभी सदस्यों से सुमन का परिचय करवाया।

सभी को बताया- कि सुमन उसके ऑफिस में ही काम करती है। वह दोनों एक साथ में काम करती हैं। और सुमन उसकी बहुत अच्छी फ्रेंड है। श्रेया ने बताया जब मैं ऑफिस में भी बहुत उदास रहने लगी थी। मेरे मन में बच्चे के भाव पनपते रहते, और मैं उसके बारे में सोच कर बहुत उदास रहती थी। तब एक दिन सुमन ने मुझसे पूछा- कि क्या हुआ है, मैंने सुमन को कुछ भी नहीं बताया। लेकिन पता नहीं सुमन मेरे मन के भाव को कैसे समझ गई, और उसने खुद ही मुझसे एक डॉक्टर से मिलने का प्रस्ताव रखा। प्यासे को जैसे पानी मिल गया हो। मैं तो चाहती ही थी, कि मुझे बच्चा हो जाए सुमन ने बताया- कि वह डॉक्टर बहुत पहुंचे हुए हैं। फिर भगवान ने चाहा।तो तुम्हारी गोद जरूर भर जाएगी। श्रेया ने सुमन के प्रस्ताव को मान लिया,और वह सुमन के साथ ही उस डॉक्टर के पास गई इसका नतीजा सबके सामने है। डॉक्टर के पास भी सबसे पहली बार सुमन ही उसे लेकर गई थी आज सुमन की वजह से ही उसे इस कन्या रत्न की प्राप्ति हुई है,और वह मां बन सकी है। इसलिए सुमन का बार बार धन्यवाद करती हैं। घर के सभी सदस्यों ने जब यह बात सुनी, तो सुमन के लिए सबके मन में अगाध प्रेम बढ़ गया और सभी ने बारी-बारी से सुमन को धन्यवाद कहा- श्रेया की सासू मां ने रक्षा से  सुमन के लिए पहले पानी लाने को कहा- रक्षा किचन में गई और बिस्किट और पानी लेकर आई। सुमन को श्रेया ने बिस्किट और पानी दिया। रक्षा किचन में चाय बनाने चली गई , रक्षा किचन में चाय बना ही रही थी कि अब  फिर से दरवाजे की घंटी बजी .......इस बार पिताजी दरवाजा खोलने के लिए गए, दरवाजा खोलते ही पता चला कि श्रवन ऑफिस से वापस आया है। पिताजी ने श्रवन को बताया कि तुम्हारे ऑफिस वाली सुमन श्रेया से मिलने आई है। श्रवन ने कहा- अरे वाह! सुमन आई है। वह अंदर आकर सुमन से मिला। इतने में मां ने रक्षा को आवाज दी और कहा- कि श्रवन भी आ गया है, तो चाय श्रवन के लिए भी बना ले। रक्षा ने सुनकर हां में उत्तर दिया। इतने में श्रवन अंदर से अपनी बेटी को गोद में लेकर आया। सुमन ने जैसे ही उसकी बेटी को देखा, वह आतुरता से उसे खिलाने को झपट पड़ी और बोली पहले मुझे दो, पहले मुझे उसे खिलाना है । श्रवन ने सुमन को अपनी बेटी को पकड़ा दिया। सुमन ने उसकी बेटी को बहुत प्यार किया । और अपनी गोद में लेकर बड़ी खुश हो गयी। उसने कहा- कि नन्ही परी अपनी मासी से मिलेगी, सुमन ने खुद को उसकी मासी बना लिया था।

श्रेया और भी ज्यादा खुश हो गयी, सुमन की यह बात सुनकर  श्रेया और भी ज्यादा खुश हो गई।अभी तक तो सुमन उसकी फ्रेंड थी लेकिन नन्ही परी की मासी बनने के बाद तो सुमन की फ्रेंड के साथ-साथ बहन भी बन गई। नन्ही परी को खिलाते खिलाते सुमन को बहुत देर हो गई थी।समय का ख्याल ही नहीं रहा, सुमन अचानक उठ गई। नजरें घड़ी पर गई और उसे देखा कि उसको तो कई घंटे हो गए यहां आए हुए। सुमन ने कहा- अब मुझे घर निकलना चाहिए । ठीक है, फिर भी आते रहना चाहिए। श्रेया ने कहा -कि हां ठीक है, अभी बहुत देर हो गई है अब तुम्हें घर जाना चाहिए। यह कहकर  सुमन उठी और उसने सभी को प्रणाम किया। और अपने घर की तरफ निकल गई। श्रेया ने कहा- घर पहुंच कर फोन कर देना। रात काफी हो गई है। इसलिए चिंता लगी रहेगी। सुमन ने कहा- हां ठीक है, श्रवन में उसे ऑटो में बैठा दिया और ऑटो वाले को बोल भी दिया। कि उसे ठीक से घर पहुंचा आयेगा। थोड़ी ही देर में श्रेया घर पहुंच गई, और घर पहुंचते ही उसने सबसे पहला काम, श्रेया को फोन लगाकर बताया-कि वह सकुशल घर पहुंच गई है, ठीक है, शुभ रात्रि। हम भी आराम करते हैं और तुम भी आराम करो। श्रेया और श्रवन दोनों अपनी बेटी को लेकर अपने कमरे में चले गए। सभी ने खाना पीना खाया और सभी आराम करने को चले गए। क्योंकि रात काफी हो गई थी।

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9 Comments

Gunjan Kamal

26-Sep-2022 05:39 PM

शानदार

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Pallavi

22-Sep-2022 09:35 PM

Beautiful

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Abeer

22-Sep-2022 11:01 AM

Nice post

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